शनिवार, 8 नवंबर 2008

देवियाण : कर्ता - भक्त कवि इशरदासजी


चारण पहले से ही माँ जगदम्बा का उपासक रहा हे। चारण में अनेक देवियों ने जन्म धारण किया हे। माँ करनिजी, जगदम्बा आवड, माँ खोडियार, पूज्य आईमा सोनल माँ जेसी शक्तिओने चारणीशक्ति को उजागर किया हे। उसीका गुणगान गाते हुए महात्मा इशरदासजी ने " देवियाण " की रचना की।




अथ ग्रन्थ " देवियाण "
छंद अदल
करता हरता श्री ह्रींकारी ,
काली कालचरण कौमारी,
शशि शेखरा सिद्धेश्वर नारी,
जग निमवन जयो जड़धारी ॥१ ॥
धवा धवलगर धव धू धवला,
कृष्ना कुम्बजा कचत्रि कमला ,
चला चला चामुंडा चपला,
विकटा विकत भू बाला विमला ॥ २ ॥
सुभगा शिवा जया श्री अम्बा,
परिया परम्परा पालम्बा,
पिसाचनी साकनी प्रतिबम्बा,
अथ आराधिजे अव्लंबा ॥ ३ ॥
स कालिका शारदा समया,
त्रिपुरा तारणी तारा तनया,
ओहम सोऽहं अखया अभया,
आई अजया विजया उमया ॥ ४ ॥
" छंद भुजंगी "
देवी उम्मया खम्मया इशनारी,
देवी धारनी मुंड त्रिभुवान ,
देवी शब्दा रूप ॐ रूप सीमा,
देवी वेद्द पारख धरनी ब्रह्मा ॥ १ ॥
देवी कालीका माँ नमो भद्र काली,
देवी दुर्गा लाधवम चरिताली,
देवी दानवा काल सुरपाल देवी,
देवी साधकम चारण सिद्द सेवी ॥ २ ॥
देवी जख्हनी भखनी देव जोगी
देवी निर्मला भोज भोगी निरोगी,
देवी मात जानेसुरी ब्रान मेहां,
देवी देव चामुण्ड संख्याती देहा ॥ ३ ॥
देवी भांजनी देत सेना समेता,
देवी नेताना तप्पना जया नेता ,
देवी कालिका कुब्जा कामकामा,
देवी रेणुका संभला रामरामा, ॥ ४ ॥
देवी मालनी जोगनी मत्त मेधा,
देवी वेधनी सुर असुरा उवेधा,
देवी कामही लोचना हांम कामा,
देवी वासनी मेर माहेश वामा ॥ ५ ॥

मंगलवार, 4 नवंबर 2008

प्रस्तावना


आदरणीय ,
चारणबंधुओ
माँ जगदम्बा की कृपा से में अपनी ब्लोग्ग " चारण-गढ़वी " शुरू करने जा रहा हूँ । चारण होने के नाते मेरे समाज के प्रति मेरा ये कर्तव्य हे की मुजसे जो बन सके वो में अपने समाज को प्रदान करू। इटरनेट पर " चारण" के बारे में बहुत कम वेबसाइट्स और ब्लोग्गस उपलब्ध हे । जिसमे चारण का इतिहास, साहित्य, समाज का नेटवर्क (गोत्र, शाखाएँ इत्यादि) , चारण डिरेक्टरी इत्यादि बहोत कम जानकारी मिनती हे। तो मेरा ये ध्येय हे की मेरी साईट के माध्यम से में दुनियाभर में चारण के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी पंहुचा सकू। और हमारा समाज इसका जयादा लाभ उठा सके। इसीलिए मेने हिन्दी भाषा में लिखना उचित माना। ताकि पुरे भारत के चारण समाज तक में अपने विचार पंहुचा सकू। चारण जाती पुरे भारत में फेली हुई हे। ज्यादातर गुजरात, राजस्थान, और मध्यप्रदेश में। होता ये हे की गुजरात के चारणों को भारत के दुसरे क्षेत्रो के चारणों के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नही। दुसरे क्षेत्रो के चारणों की भी यही समस्या हे की उसके इलाके के चारण समाज के सिवा उसे कम माहिती मिलती हे। तो मेरा ये प्रयास रहेगा की भौगोलिक अन्तर की जो असर हमारे समाज पर हे वो में मिटा सकू।
मेरे ये प्रयास में मुझे आप सब चारणबंधूओ का पुरा सहयोग चाहिए। आशा रखता हु की आप मेरी ये अपेक्षा पुरी करेंगे। मेरी साईट पर कमेन्ट लिखे और मुझे कुछ नया करनेकी प्रेरणा दीजिए। अगर आप
कुछ जानकारी देना चाहते हे तो वो माहिती आपके नाम से प्रकट की जायेगी।
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