चारण पहले से ही माँ जगदम्बा का उपासक रहा हे। चारण में अनेक देवियों ने जन्म धारण किया हे। माँ करनिजी, जगदम्बा आवड, माँ खोडियार, पूज्य आईमा सोनल माँ जेसी शक्तिओने चारणीशक्ति को उजागर किया हे। उसीका गुणगान गाते हुए महात्मा इशरदासजी ने " देवियाण " की रचना की।
अथ ग्रन्थ " देवियाण "
छंद अदल
करता हरता श्री ह्रींकारी ,
काली कालचरण कौमारी,
शशि शेखरा सिद्धेश्वर नारी,
जग निमवन जयो जड़धारी ॥१ ॥
धवा धवलगर धव धू धवला,
कृष्ना कुम्बजा कचत्रि कमला ,
चला चला चामुंडा चपला,
विकटा विकत भू बाला विमला ॥ २ ॥
सुभगा शिवा जया श्री अम्बा,
परिया परम्परा पालम्बा,
पिसाचनी साकनी प्रतिबम्बा,
अथ आराधिजे अव्लंबा ॥ ३ ॥
स कालिका शारदा समया,
त्रिपुरा तारणी तारा तनया,
ओहम सोऽहं अखया अभया,
आई अजया विजया उमया ॥ ४ ॥
" छंद भुजंगी "
देवी उम्मया खम्मया इशनारी,
देवी धारनी मुंड त्रिभुवान ,
देवी शब्दा रूप ॐ रूप सीमा,
देवी वेद्द पारख धरनी ब्रह्मा ॥ १ ॥
देवी कालीका माँ नमो भद्र काली,
देवी दुर्गा लाधवम चरिताली,
देवी दानवा काल सुरपाल देवी,
देवी साधकम चारण सिद्द सेवी ॥ २ ॥
देवी जख्हनी भखनी देव जोगी
देवी निर्मला भोज भोगी निरोगी,
देवी मात जानेसुरी ब्रान मेहां,
देवी देव चामुण्ड संख्याती देहा ॥ ३ ॥
देवी भांजनी देत सेना समेता,
देवी नेताना तप्पना जया नेता ,
देवी कालिका कुब्जा कामकामा,
देवी रेणुका संभला रामरामा, ॥ ४ ॥
देवी मालनी जोगनी मत्त मेधा,
देवी वेधनी सुर असुरा उवेधा,
देवी कामही लोचना हांम कामा,
देवी वासनी मेर माहेश वामा ॥ ५ ॥